शाहरुख खान की ‘रा.वन’ की एनिमेटर चारु खंडाल के परिवार को 2012 के हिट-एंड-रन मामले में 62 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा, बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2012 के एक दुखद हिट-एंड-रन मामले में फैसला सुनाते हुए दिवंगत चारु खंडाल के परिवार को 62 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। चारु खंडाल, जो शाहरुख खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘रा.वन’ में एक प्रतिभाशाली एनिमेटर थीं, 28 मार्च, 2012 को मुंबई के पश्चिमी उपनगर में एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थीं, जिसके बाद कई वर्षों तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने के बाद उनका निधन हो गया। वह अपने दोस्त के साथ ऑटो-रिक्शा में यात्रा कर रही थीं, जब एक तेज गति से आ रही कार ने उनके ऑटो को टक्कर मार दी थी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

इस मामले में, खंडाल के परिवार ने मुआवजे की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, बॉम्बे हाईकोर्ट ने खंडाल के परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया है। अदालत ने दुर्घटना में लापरवाही बरतने वाले वाहन के मालिक और बीमा कंपनी को संयुक्त रूप से 62 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

अदालत ने अपने फैसले में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166 पर विशेष रूप से विचार किया, जो सड़क दुर्घटनाओं में घायल या मृतक व्यक्तियों के परिवारों को मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, अदालत ने लापरवाही के कानून के स्थापित सिद्धांतों को भी ध्यान में रखा, जिसके तहत यदि किसी व्यक्ति की लापरवाही के कारण किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान होता है, तो वह क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी होता है। हालांकि अदालत का विस्तृत आदेश अभी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह उम्मीद की जाती है कि इसमें मुआवजे की राशि का निर्धारण करने के कारणों और कानूनी आधारों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाएगा।

यह फैसला खंडाल के परिवार के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जिन्होंने अपनी बेटी और बहन को खोने के बाद न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। यह फैसला सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों और उनके परिवारों के अधिकारों को भी मजबूत करता है।

इस दुखद घटना के संदर्भ में, बीमा का महत्व और कानून का ज्ञान और भी स्पष्ट हो जाता है। मोटर वाहन बीमा ऐसी अप्रत्याशित और विनाशकारी घटनाओं के वित्तीय बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक व्यापक बीमा पॉलिसी न केवल वाहन को होने वाले नुकसान को कवर करती है, बल्कि तीसरे पक्ष की देनदारी को भी कवर करती है, जिसमें दुर्घटना में घायल या मृतक व्यक्ति को मुआवजा भी शामिल है। इस मामले में, बीमा कंपनी पर भी मुआवजा देने की जिम्मेदारी तय की गई, जिससे पीड़ित परिवार को वित्तीय सुरक्षा मिली। यदि वाहन का बीमा नहीं होता, तो परिवार को मुआवजे की पूरी राशि वाहन मालिक से वसूल करने में और भी अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता था। बीमा पॉलिसी होने से कानूनी लड़ाई लड़ने और मुआवजा प्राप्त करने की प्रक्रिया भी सरल हो जाती है।

इसके अतिरिक्त, इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला मोटर वाहन अधिनियम और लापरवाही के कानून पर आधारित था। कानून का ज्ञान व्यक्तियों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करता है। सड़क दुर्घटना की स्थिति में, पीड़ितों को यह जानने का अधिकार है कि वे मुआवजे के लिए दावा कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें किस प्रक्रिया का पालन करना होगा। कानून की जानकारी होने से लोग कानूनी प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उचित कदम उठा सकते हैं, जिससे उन्हें न्याय प्राप्त करने में मदद मिलती है।

यह दुखद घटना सड़क सुरक्षा के महत्व और सड़कों पर सावधानी बरतने की आवश्यकता को भी उजागर करती है। तेज गति और लापरवाही से ड्राइविंग न केवल दुर्घटनाओं का कारण बनती है, बल्कि यह कई अनमोल जिंदगियों को भी छीन लेती है। चारु खंडाल जैसी प्रतिभाशाली व्यक्ति का इस तरह से चले जाना एक बहुत बड़ी क्षति है, और यह फैसला उनके परिवार को कुछ हद तक सांत्वना प्रदान कर सकता है। सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करना और पर्याप्त बीमा कवरेज रखना हम सभी की जिम्मेदारी है ताकि ऐसी दुखद घटनाओं के पीड़ितों और उनके परिवारों को कुछ हद तक राहत मिल सके।

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